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  • ‘वासुधैव कुटुम्बकुम्’ के उदात उद्देश्यों से अभिप्रेरित हो इस वसुधा के प्रत्येक सदस्यके चारित्रिक तथा नैतिक उन्नयन, व्यक्तित्व का संवर्धन सामाजिक समरसता तथा मानवीय मूल्यों की अभिवृद्धि के प्रति लोगो के आस्था की पुनस्थापना हेतु अथक अनवरत प्रयास करना।
  • मानव के जीवन स्तर को उच्च बनाना, पूर्ण बेरोजगारी, आर्थिक और सामाजिक उन्नति व विकास की अवस्था को पैदा करना।
  • जाती, राष्ट्रियता अथवा विचारों के आधार पर उत्पीड़न के भय से अपने देश या मूल निवास का परित्याग किये व्यक्तियों की समस्याओं का स्थाई हल ढूँढना। शरणार्थियों को सुरक्षा तथा संरक्षण प्रदान करना।
  • सम्पूर्ण मानव जाती में सामाजिक, आर्थिक तथा वाणिज्यिक संबंधी मामलों में समानता के व्यवहार को प्रोत्साहित करना तथा उपेक्षित व वंचितों के सर्वांगीण विकास पर बल देना।
  • जाती, लिंग, भाषा, अथवा धर्म, के आधार पर भेदभाव किये बिना सब में मानव अधिकारों व मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति आदर बढ़ाना।
  • शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के संवर्द्धन के द्वारा मानव में मेल भाव स्थापित करना। बौद्धिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से मानव सभ्यता व संस्कृति के विकास में योगदान देना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा संगठित तथा असंगठिक क्षेत्रों के प्रत्येक श्रमिक की दशा को उन्नत करना, उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाना, उनमें आर्थिक व सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देना।
  • जाती, लिंग, भाषा, अथवा धर्म, के आधार पर भेदभाव किये बिना बुजूर्गों की सेवा करना, उनके उचित पोषण, स्वास्थ्य तथा आवास की व्यवस्था करना।
  • इस धारा से ‘भूख’ को मिटाने में अपना सम्पूर्ण योगदान देना। प्रत्येक मानव के लिए समुचित तथा पोष्टिक पोषण की व्यवस्था करना। जीवन यापन तथा पोषण के स्तर को ऊँचा करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व स्वस्थ्य संगठन, खाद्य एवं कृषि संगठन तथा विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्वस्थीय संबंधी संवधि कार्यों को संचालित व समन्वित करना एवं स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान में अपना प्रभावशाली योगदान देना।
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